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ठन ठन गोपाल

ठन ठन गोपाल मीते, ठन ठन गोपाल। चाल ढाल ठीक तबो, बाउर बाटे हाल।। हाल अतना बाउर, बा बकरवा के हाल। खींचता कसईया कवनो देहीं से खाल।। तनीसा पपनी जइसहीं हमार झपकल। लेके उड़ल गोसईंया बगलिया से माल।। फंसला से बांचे के नइखे जुगुतिया जी। फेंकि देले बहेलिया बा दाना आ जाल।। कब अइली जवानी बुझाइल ना हमरा। मीत गोटी हमार कबहूं भइल ना लाल।।

मरल परल अंबर में चान

आदित उगिहें कि ना उगिहें, बाटे एकर कवन ठेकान। रात सियाही भइल बिया, मरल परल अंबर में चान।। खूनी लिपिस्टिक में संडक, अपने ऊपर इतरात बिया। राजनीति डाएन चुन-चुन के, निर्दोसन के खात बिया।। फूल का खिलिहें फुलवारी में, नइखन एको पुछवैया। चारु देनिए जब डर पसरल बा, कइसे बहिहें पुरवैया।। बीच भंवर में बिया नइया, जिया फंसल बा सांसत में। जवनो बांचल पतवार रहे, ऊ बड़ुए परल हिरासत में।। सुनs हरेसर सुख के सपना, का देखतारs अनेरिए में आस अंजोरिया के छोड़s तूं, काटs दिन अन्हरिए में।।

जहर घोराइल बा।

हर सहर के हावा में, अब जहर घोराइल बा। हर दर्द के दावा के, अब असर ओराइल बा।। मासूम के चेहरा पर, बा घाव भइल बड़हन। फेर भीड़ के हाथन से, निरदोस हताइल बा।। हर आस के पतई पर, ओलन के मार परल। हर दिल के डेहरिन में, अरमान तंवाइल बा।। आचरन के समएना में, बा छेदे- छेद भइल। साधुन के आवरन में, फेरु चोर धराइल बा।। बा हाल बुरा नगरन के, चउपट बड़ुए रजवा। कोइला हीरवा दूनहूं, एके मोल बेंचाइल बा।।

बसंत के उठान लागेलू।।

तोके सुंदर बनौले भगवान हो,  पूनम के तूं चान लागेलू। रंग देहिंया के सोना समान हो,  तूं सुंदर बिहान लागेलू।। तोहरा के देखी भंवर बउराला खिलल फूल समझि मेंड़राला। शकुंतला के झूठ बा बखान हो बसंत के उठान लागेलू।। गरवा तहार बा सुराही के भांती खीरा के बिया नियर दांत पांती। मीठ बोलिया लवाही समान हो खुदा के बरदान लागेलू।। तहरा से बाटे एकहीं हथजोरिया तनीसा फेरि द एनिओ नजरिया। पूर मूरख के कइ द अरमान हो तूं देवीजी महान लागेलू।।

लोगे हंसी ठठाय

लिट्टी चोखा खाइ के ठंढा पानी पीहीं। संतोषं परम सुखम के संगे रवा जीहीं।। रसगुल्ला के चाह बड़ी बाउर होखेला। बिन अरथ करत फिरी मत हींहींहींहीं।। राउर फाटल देख के लोगे हंसी ठठाय। अपने सुई धागा से आपन गुदरी सीहीं।। याद करीं ऊपरवाला कतना दिहले बा। ओही में से थोर बहुत दोसरा के दीहीं।। जनम भइल बा त मरन त होइबे करी। एह सांच के गांठी में रवा गंठिया लीहीं।।

मरल खुसी- उलास।

जीत मरल, गीत मरल, मरल खुसी- उलास। अब का फूलिहें गुलमोहर, परिजात, पलास।। हरेक फेंड़ पर बैठल बाटे, गिधवा के परिवार। पोंछ उठवले रउंदत बाटे पगला संढ़वा घास।। नदी किनारे बैठल बा बगुला भगतन के पांत। सुनीं संगी! सिधरी कूल के बाटे पास बिनास।। चउक, चाह दुकान प होता बोकड़न के भीड़। होखेला मुंडा गरम सुनिके ओहिजा बकवास।। दिनहीं दिने होखल जाता जीवन अब जंजाल। भूख दुख त बढ़ले जाता बढ़त बिया पियास।।

जरे दिल अरमान।

जरत खेत, खरिहान जरे, जरे दिल अरमान। जोर लगा के बोलीं रउरा, भारत देस महान।। हम बबुनी के कब कहीं, दूधे नहा पूते फलs। नाहिं चयन बा सांझि के, नाहिं चयन बिहान।। पेट चलावे खातिर बुचना, रहत बड़ुए दिल्ली। गरहन से रोजे जूझेला, ओकरा पूनम के चान।। मुआ करोनवा काल में, का करीं का ना करीं। नाहिं खुलल इस्कूल बा, नाहिं खुलल दोकान।। जरत हिताई, जरत मिताई, जरे प्रेम परिहास। हमनी मूरखन प कृपा करीं, सुनीं दया निधान।।

पिरितिया करेले गजबे कमाल।

पिरितिया करेले गजबे कमाल सनेहिया करेले गजबे कमाल। नैनन में बसेली कवनो सुरतिया मती के गती के होला दुर्गतिया होला बउड़म भंवरवा के हाल पिरितिया करेले गजबे कमाल। निंदिया ना आवे ना परे चएनवा दिलवा में दरद उठेला बएमनवा चलेली सन आंख मिरिगा चाल पिरितिया करेले गजबे कमाल। अंबरो से ऊंचा रहेला अरमनवा बरहो महीना बसंत के समनवा पुरवाई निगोड़िया करेले बेहाल पिरितिया करेले गजबे कमाल।

नरको में अब ठेलम ठेल।

सरग मरग के छोड़ीं बात नरको में अब ठेलम ठेल। बाटे बांस ना बाजे बंसुरी ना बांचल दीयवा में तेल। आगे नाथ ना पाछे पगहा तबो संवरुआ खेले खेल। बुढ़उ के बा पानी उतरत रोजहीं बचवा धरे नकेल। कतनो खर्चा पानी कइनी तब्बो पप्पू भइलन फेल।

ए सुखारी चाचा।

कटहर लेखा मुंह काहे लटकल ए सुखारी चाचा। लागता कि हार तोहरा खटकल ए सुखारी चाचा।। ताल के टोपरा बेंच बांच के लड़ल ह तूं बिधयकी। हरलह त पोंछिया तहार सटकल ए सुखारी चाचा।। भोरहीं भोरहीं तूं त दारु से करत रहलs ह कूल्ला। फुटानी के बरखा त अब चटकल ए सुखारी चाचा।। बहुत दिनन से डूबि डूबि के पीयत रहल ह पानी। लगता कि अबकी टेंगर अंटकल ए सुखारी चाचा।। राजनीति के छोड़s चस्का जा अब कीनs कटोरा। साधू चा के पिछवा चलs लटकल ए सुखारी चाचा।।

फेर एहू साल बाड़े जाड़ दद्दू आइल

फेर एहू साल बाड़े जाड़ दद्दू आइल बा कूहा के चद्दर में गांव लपेटाइल। दुअरा के कउड़ प लागता मजलिस महंगुआ के मेटा से सूटर खिंचाइल। सतुआ पीसात बाटे लिट्टी बनावे ला  दादी खाति माटी के बोरसी पराइल। अंगनाई लिपात बा दुअरवा लिपाता गैंड़ा के खेतवा में कोबिया फुलाइल। पछेया के हवा चुभेला तीर जइसन हड़वा में हमरा बा जड़वा समाइल।

सुत रे ससुर कपूत।

बहरा में चल रहल बा गोली, सुत रे ससुर कपूत। घुड़मुड़िया के मोटरी बन जो , परले  परले मूत।। धूर उड़ा के धइले बाड़े नेता संग चमच कलछुल। बाकी हम भूलाइल नइखीं एहनी सब के करतूत।। केहुओ जाता चांद के ऊपर केहुओ मंगल ऊपर। अबहूं बबुआ राम  भरोसे बांटत फिरस  भभूत।।

हमार सुगउ हो हमार सुगउ हो हमार सुगवा

हमार सुगउ हो हमार सुगउ हो हमार सुगवा चलि गइलs कवना देसवा हो हमार सुगवा। सवख आ सिंगार अब हम केकरा पर करम मीतवा केकरा पिरितिया में रात- दिन जरम केकरा ऊपर करब अब हम गरब  गुमनवा। रहलs अलम तूहीं एह हमरी जिनिगिया के रहलs सियाही तूं एह जिनिगी कलमिया के नाइ जिनिगी के हमरी तूं रहs खेवनिहरवा। का हड़बड़ी रहे अबहीं कुछ दिन त जीहीतs जिनिगी के गुदरी अभी कुछ दिन त सीहीतs छोड़ी के काहे भगलs तू माया के मुलुकवा। सभके एक दिन बोलउवा त अइबे करी जी जे भी आइल बा एहिजा ऊ जइबे करी जी बड़ुए अइसने बनावल बिधना के बिधनवा।

खोजत बानी: भाग २

 अपना बचपन के गांव रे भईया खोजत बानी। अपना पुरखन के नांव रे भईया खोजत बानी।। दोनी  ढेंकी  जांता  कुंड़ी  कोल्हू  भाथी मोट मथनी  ढबरी  लोढ़ा पीढ़ा  डोंड़ा कांड़ी सोट सेर  पसेरिया पाव रे  भईया  खोजत  बानी। चूल्हा चौकी दउरा मउनी झांपी अउर झंपोली कूंड़ा भांड़ी कोठिला डेहरी बोरसी गाड़ा डोली रसिया के ऊपर बढ़ांव रे भईया खोजत बानी। घेंवड़ा  लिबरी  चोंथा लाटा  अंगारी के लिट्टी उमी होरहा तिलई तिलवा पीठा आ दलपिट्ठी ऊख के पहीला ताव रे भईया खोजत बानी। गेंथा  गेंथरी गांती  बिहिटी झूला  तही  लंगोट सूजनी असनी लेदरा गणतर चाभी वाला खूंट गोरेया बाबा  के ठांव  रे भईया खोजत बानी।

खोजत बानी: भाग १

 अपना बचपन के गांव रे भईया खोजत बानी। अपना पुरखन के नांव रे भईया खोजत बानी।। सांझ सुहानी रएन सलोनी कऊड़ा वाली भोर फुदगुद्दी  के धूर  नहाई चकवा  चकई  चकोर करिया कगवा के कांव रे भईया खोजत बानी। लोरी  कजरी बिरहा झूमर सोहर आ जंतसार रोपा  कटनी गीतन  के संग झूमत खेत बधार पीपरा के सीतल छांव रे भईया खोजत बानी। गुली डंटा  दोल्हा  पाती चिक्का ती ती ती ती गोली वाली नन्हकी गुब्भी तिरका लाता लुत्ती दुअरा पर  लट्टू दांव रे भईया  खोजत बानी। अरवन झगरा नाधा  जोती घारा मारल लऊर सेंगरी सेंगरा  बहंगी मुंगरा चंउर  ठेंगरी मऊर जलकोबिया  के नाव रे  भईया खोजत बानी।

जिनिगिया अजबे खेल खेलावे।

जिनिगिया अजबे खेल खेलावे। जिनिगिया अजबे खेल खेलावे। कबहूं बेटा कबहूं  परनाती कबहूं बाप बनावे कबहूं छप्पन भोग खिआवे कबहूं  नून चटावे कबो मुआवे कबो जिआवे कबो कबो तड़पावे जिनिगिया अजबे खेल खेलावे। कबो चढ़ावे सिकहर  ऊपर कबो उतारे पानी कबहूं देवे महल अंटरिया  कबहूं चूवत छानी कबो उठावे कबो  गिरावे कबो कबो ठठरावे जिनिगिया अजबे खेल खेलावे। आपन कबो पराया होले कबो  पराया आपन कबो गले में फूल के माला कबो गले में नागन कबो हंसावे कबो रोआवे कबो कबो छछनावे जिनिगिया अजबे खेल खेलावे।

हमार जिंदगानी

हमार जिंदगानी  हमार  जिंदगानी भइलि पानी पानी हमार जिंदगानी। लागता कि बीचहीं से जाइब चीराई अइसन मचल बा हमार खींचातानी। पाले परल  बानी अइसन  बलम के माटिया में मिलल बा भरल जवानी। हम भीड़ियो में हरदम रहीना अकेले रहि- रहि के  दरदा  उठेला  तूफानी। नोकरी के रसरी से अइसन छनइनी कि चउबीस घंटा  दूहल जात बानी।

फोकचा जस फोर देब

होइबे अंखफोर, त आंख तोर फोर देबि जादे फटफटइबे, तोर मुंहवा झंकोर देबि। चलत रहु हरदम गिरवले आपन मुंड़िया जहां मुंड़ी उठवले, त मुंड़िया ममोर देबि। जवने-जवन कहब, तवने- तवन सांच बा कटले तें बात, त कुकुर जस भंभोर देबि। आम के कहब महुआ, त तेहूं कहबे महुए नाहीं त आम अइसन, भूसवा में गोर देबि। बनबे चल्हांक ढेर, त बतिया हमार सुन ले धरब फंफेली, आ फोकचा जस फोर देबि।

तिरसंकु के हाल

गूंडा- मवालीन आ लूकड़न के राज बा लंगवन- बहेंगवन के मुंडी पर ताज बा। लुच्चन के, टुच्चन के, छतिया उतान बा एहनी के इचिको ना डर बा ना लाज बा। बोकड़न- लफंगन के चलती बा देस में सहजे का एहनी के अपना पर नाज बा। कुक्कुर के पोंछ अस एहनी के मोंछ बा अंगुरिन में एहनी के भरल पोखराज बा। बाटे हलिया हमार त भइल  तिरसंकु के जमीनिया प‌‌र सरप आ बदरी में बाज बा।

जरुरी बा

पथराइल अंखियन में सपना सजावल जरुरी बा दिल में बनल दरारन के दूरी मेटावल जरुरी बा। परदा के पाछा से खेलता खेल कवनो दुसमनवा ओ दुसमन के परदा में आग लगावल जरुरी बा। दिने-दिन हेहर आ जटही के बढ़ल जाता जंगल एह जंगल प दाब आ टांगी चलावल जरुरी बा। सभ लोगन के पासे बा कवनो ना कवनो सवाल  ए सभ सवालन के समेटि के उठावल जरुरी बा। सूर जी बाल्मीकि जी दास तुलसी कबीर जी के घर के बचन सभ के कविता पढ़ावल जरुरी बा।

राय रमेसर गांव में

भक भक बींड़ी धूकत फिरेले राय रमेसर गांव में पचपच पचपच थूकत फिरेले राय रमेसर गांव में। नेहा धोआ के खा के पी  के मार बिदेसिया इत्तर झारि के लुंगिया घूमत रहेले राय रमेसर गांव में। कबहूं मोटको कबो पतरको से सटिसटि सटरावें चचिया के घरवा चाह पीएले राय रमेसर गांव में। कन्हिया प हरदम राखेले लाल बिन्हचली गमछी आपन किरिया खात फिरेले राय रमेसर गांव में। बिन काठी के आग लगाके मनहीं मन मुसुकालें गड़हे- गड़हा खोनत फिरेले राय रमेसर गांव में।

नूं करी

 केहू के खोंखी आई त खोंखबे नूं करी पेनवा पुरान हो जाई त पोंकबे नूं करी मंच मिली नचनिया के त नाची - कूदी नेता के मंच मिली त  झोंकबे नूं करी। कुछ गवईया गावस ना बस अललाले कुछ बजवईया बजावेले बस झपताले कुछ नचवईया खलिसा उछड़ेलन जा कुछ बोलवईया खलिसा पकपकाले।

गजब हो गइल

 मइया घरवा तोरा कहइनी सासू घरवा रउरा  गजब हो गइल, बुचिया गउरी भइली गउरा, गजब हो गइल। रहीं कनेयां त हमरा के, खूब खिअवली सासूजी पुहुट बनावे खाति हमके, दूध पिअवली सासूजी आरे थोरहीं दिन में हो गइनी हम, गरई से सउरा गजब हो गइल। चूल्हा मिलल, चौका मिलल, मिलल चाभी ताला रिन करज के बोझा मिलल औरु छान्ह के जाला अब परे लागल इयाद त हमरा आपन ननिअउरा गजब हो गइल। केस उजराइल, मुंह सूखाइल, आंख-कान बेराम गजबे के ई जिनिगी बिया समझ ना आइल राम देखते देखत हो गइनी एकदमहीं हम बसिअउरा गजब हो गइल।

रोवतारे बाबू माई: हरेश्वर राय

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रोवतारन बाबू माई पूका फारि - फारी खेत बेंच के किनले बा पपुआ सफारी। साल भ के खर्ची बर्ची कहवां से आई उसिना आ अरवा अब कहां से कुटाई कइसे लगवावल जाई खिरकी केवारी। छठ -एतवार कुल्हिए फाका परि जाई बुचिया के कइसे अब तीजिया भेजाई मुसुकिल मनावल होई फगुआ देवारी। चिकन- मटन के संगे दारु खूब घोंकी पी के पगलाई तब कुकुर जस भोंकी कुरुता फरौवल कके लड़ी फौजदारी। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

कइगो नाव डूबवले बानी: हरेश्वर राय

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लइके से मइया दइया के पानी बहुत पिअवले बानी जबसे होस सम्हरले बानी कइगो नाव डूबवले बानी। भीतरा से सयतान हईं हम ऊपरा से बम बम भोला सुधा बाछी बनिके मितवा लुगा बहुत चबवले बानी। मानुस के खून मुंहे लागल हम भेंड़िया के नसल हईं अपना देहिंया के ऊपर मनई के खाल मढ़वले बानी। रोहू फरहा अउर बरारी कहंवा बांचि के जइहन सन सिधरी भी एकोना बंचिहें ऐसन जाल बनवले बानी। जाति- पांति पाटी- पउवा के सुरुए से सवखिन हईं  जबहीं मौका मिलल बा नीके से आग लगवले बानी। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मन ठूंठ प आस के पात आइल: हरेश्वर राय

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 मन ठूंठ प आस के पात आइल। जेठ मास के तपन ओराइल बा सावन ले आइल पुरवाई अब अगस्त के फूल खिलल हमरा गोड़न से गइल बेवाई नवनीत से नेहाइल रात आइल। ओठ फाग के गीत भइले स अंखियां भइली सन अमराई अब जाके इ समझ में आइल कि मितवा का ह आखर ढाई गुलाबन से भरल परात आइल। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

हम ना आइब रे: हरेश्वर राय

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 हम ना आइब  सुनु रे भगता ! हम ना आइब रे तोर देस भइल कल्युगी भगता हम ना आइब रे। नाहीं गोप गोबरधन कतहूं ना  गोपी ना जमुना खाली पोले- पोले लुगी भगता हम ना आइब रे। नइखन लउकत वृंदावन में  एकहूं गइया बाछा लउके रोवत सुगा सुगी भगता हम ना आइब रे। मोरपंख माखन मिश्री ना नाहिं कदम के डाल चारु देनिए झुग्गी- झुगी भगता हम ना आइब रे। सत्य प्रेम के रोज जरावत  बड़ुए लोगवा होली बाजे झूठवा के डुगडुगी भगता हम ना आइब रे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मार बढ़नी रे: हरेश्वर राय

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 मार बढ़नी रे! कइसन देसवा के चरितर बा दू कौरा भीतर ओकरा बाद देवता पितर बा। अपना अपना जतिया पर सभ के घमंड बा बहे संड़की प खून उड़त मंच से कबूतर बा। भेदवा लबेदवा के मान खूबिए बढ़ल बड़ुए सइयक गो सवाल बड़ुए एकहूं ना उत्तर बा। लइका आ लइकी में फरक करत बाबू माई दुलहनिया अठारह के आ दुलहा बहत्तर बा। दाम ज्ञान के गगरिया के फूटल छदाम बाटे मान कदर ओकर बा जे फूटल कनस्तर बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

गाईं कइसे अंटकल गीत: हरेश्वर राय

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 गाईं कइसे अंटकल गीत। सून दुअरवा, अंगना सून मन में आके पसरल जून हाथ से हमरा सरकल जीत। बचवा बाम्बे, दिल्ली बचिया मोरा संग चितकबरी बछिया चलनी छान्हि दरकल भीत। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मोर बालम बिमान से नेपाल घूमता: हरेश्वर राय

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लोग देसवा के लेइके सवाल घूमता मोर बालम बिमान से नेपाल घूमता। जेकरा टिकठ एमेले के चाहीं असों उ कइ - कइ गो लेके दलाल घूमता। जेकर रेकड़ पुरान जान मारे के बा उ अंजुरिया में लेइके गुलाल घूमता। जवन चोर-बटमरवन के सरदार बा अपना संगे उ लेके कोतवाल घूमता। जेकरा काठी जरावे के नइखे सहूर उहो हाथ में उठवले मसाल घूमता। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

सब अखबारी बा: हरेश्वर राय

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जनता धुधुकारी राजा अधकपारी बा सब हवा-हवाई बा सब अखबारी बा। रामराज के सपना घूमता लुआठाईल सहीदन के कर्जा अभी ले उधारी बा। देस के खजाना लेके उड़ल गोसईंया बैठल बिदेसवा में  काटत फरारी बा। भठिहारा के नांव बाटे बाल ब्रह्मचारी रुप में कलक्टर के घूमत पटवारी बा। बिकास के डुगी बहुते पीटाता बाकिर बिछौना हमार त अभी ले पेटाढ़ी बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

चलुचलु रे मनवां गांव: हरेश्वर राय

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चलुचलु रे मनवां गांव कि तनिका घूमि आईं कउआ ममवा के कांव रे तनिका सुनि आईं। निर्मोही के एह नगरी में पियरइली सन आंख गिद्धराज जटायु लेखा कटल गिरल बा पांख अब बूढ़ - बुजुर्गन के तनिका सुन गुनि आईं चलुचलु रे मनवां गांव कि तनिका घूमि आई। ओद पुअरसी लेखा तनवां गते- गते जरत बा गते- गते नोनी जइसन मनवां हमार झरत बा होखनीं हम जोर एकहरा तनिक दूगुनि आईं चलुचलु रे मनवां गांव कि तनिका घूमि आईं। प्यार मुहब्बत इहां ना बाटे माहुर बोकरे नल का जाने कइसन बा आपन आवे वाला कल त दादी अम्मा के पांव  त तनिका चूमि आईं चलुचलु रे मनवां गांव कि तनिका घूमि आईं। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

काहे मारेल मुसुकिया: हरेश्वर राय

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काहे मारेलs मुसुकिया तू ऐसन जनमार कि कइलs हियरा में हमरा दरारे - दरार। मिलबs त तोहके बताइब हम संघतिया कि बच्चू सचहूं के हईं हमहूं तिरहुतिया तहरा मुसुकी मिसाइल से होई तकरार। जवन वादा भइल बा तूं जनि भूल जइह कबो दोसरा के देखके तूं जनि मुसुकइह तहरा मुसुकी प बाटे हमार एकाधिकार। जदि बतिया ना मनबs ए बचवा हरेसर त दिहबs छोड़ाइ तहार बनल परफेसर दिलफेंक बनल छूटी तहार एही एतवार। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

इयार कहेली: हरेश्वर राय

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प्यार से हमके धनियां इयार कहेली आ चोन्हाली त बुढ़उ हमार कहेली। कबो कबो जब उ खिसिया जाली त त उ हमके मीआदी बोखार कहेली। जेब में जब रुपुलिया ना एकहू मिले मुंह चुनिया के रानी भिखार कहेली। चीर के दिल देखवनी कइक बेर हम एक नमरिया उ तबहूं लबार कहेली। जब कबो काल हम रिसिया जाइला पुच्चुकारेली गोरेया डीहवार कहेली। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

भोजपुरी: हरेश्वर राय

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हमार सान ह, हमार पहचान ह भोजपुरी हमार मतारी ह, हमार जान ह भोजपुरी। इहे ह खेत, इहे खरिहान ह इहे ह सोखा, इहे सिवान ह हमार सुरुज, हमार चान ह भोजपुरी। बचपन बुढ़ापा ह, इहे जवानी अगिया भी इहे ह, इहे ह पानी हमार सांझ, हमार बिहान ह भोजपुरी। ओढ़िला इहे, आ इहे बिछाइला कूटिला इहे, आ इहे पिसाइला हमार चाउर, हमार पिसान ह भोजपुरी। धरनिया ह इहे, इहे ह छान्ही हमरा पसीना के ह इ कहानी हमार तीर ह, हमार कमान ह भोजपुरी। इहे ह कजरी, इहे ह फाग इहे कबीरा ह, इहे ह घाघ हमार धरम ह, हमार ईमान ह भोजपुरी। हरेश्वर राय  प्रोफेसर ऑफ़ इंग्लिश  शासकीय पी. जी. महाविद्यालय सतना  सतना मध्य प्रदेश 

लहरिया लागे ए राम: हरेश्वर राय

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जेठ के महीनवा के मध दुपहरिया, लहरिया लागे ए राम सनकल बा पछेया बेयरिया, लहरिया लागे ए राम। सून बंसवरिया आ सून फुलवरिया, लहरिया लागे ए राम सूनी रे डगरिया बधरिया, लहरिया लागे ए राम। सूखली तलइया आ मुअली मछरिया, लहरिया लागे ए राम आहर पोखर में पपरिया, लहरिया लागे ए राम। फेंड़वा ना रुखवा ना कतहीं छहंरिया, लहरिया लागे ए राम घरवा बा बेगर केवरिया, लहरिया लागे ए राम। सावन के असवा प गिरल बजरिया, लहरिया लागे ए राम पिया जाके फंसले सहरिया, लहरिया लागे ए राम। हरेश्वर राय  प्रोफेसर ऑफ़ इंग्लिश  शासकीय पी. जी. महाविद्यालय सतना  सतना मध्य प्रदेश 

जवानी खपि जाई बचवा: हरेश्वर राय

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गउवां छोड़ि सहर जनि जइहs, हो जइबs बे पानी जवानी खपि जाई बचवा। होखे ऐसन जनि नादानी, जवानी खपि जाई बचवा। ताल - तलइया सब छूटि जइहें, छूटिहें बाबू माई बर्हम बाबा के छूटी चउतरा, छूटिहें छोटका भाई सुसुक सुसुक के रोइबs बबुआ, केहू ना पहिचानी जवानी खपि जाई बचवा। गली-गली मीरजाफर ओइजा चौक चौक जयचंद टूंड़ उठवले बिच्छू मिलिहन, फू - फू करत भुजंग चउबीस घंटा होई पेराई, होइ जाई कमर कमानी जवानी खपि जाई बचवा। बासी बासी सुबह मिली, अरुआइल सांझ उदास पंख नोचाइल चिरईं बनबs, भुंइ प गिरी आकास आन्हर गूंग बहिर होइ जइबs, होई खतम कहानी जवानी खपि जाई बचवा। हरेश्वर राय  प्रोफेसर ऑफ़ इंग्लिश  शासकीय पी. जी. महाविद्यालय सतना  सतना मध्य प्रदेश 

कजरी: हरेश्वर राय

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हरि हरि बाबा के लगावल फुलवरिया चलीं जा उजारे ए हरि। ओही फुलवरिया में चम्पा चमेली सुंदर आरे रामा कठिया लगाके चलीं बारे चलीं जा उजारे ए हरि। ओही फुलवरिया में तितली फतिंगी उड़ें आरे रामा चलीं जा पंखिया कबारे चलीं जा उजारे ए हरि। ओही फुलवरिया में सावन के झूला रामा आरे रामा चलीं जा ओके तुरे- तारे चलीं जा उजारे ए हरि। ओही फुलवरिया में बाबा के आत्मा रामा आरे रामा चलीं जा ओहके अखाड़े चलीं जा उजारे ए हरि। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

राजाजी: हरेश्वर राय

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राजाजी पोसले बानी चार गो कहांर पंडित आ ठाकुर आ अहीर चमार। के चांपी कम माल के चांपी जादा जूझता लोग एहीके लेके चारु यार। सभे के आपन-आपन बाड़े भगवान आपन आपन तीज आपन त्योहार। हर जगे कोटवा के बढ़ला चलन से बढ़ल जाता गते-गते दिल के दरार। बानरा बनाके नचावत बा मदरिया उहे हिगरावत बड़ुए पोखरा इनार। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

सब अखबारी बा: हरेश्वर राय

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जनता धुधुकारी राजा अधकपारी बा सब हवा-हवाई बा सब अखबारी बा। रामराज के सपना घूमता लुआठाईल सहीदन के कर्जा अभी ले उधारी बा। देस के खजाना लेके उड़ल गोसईंया बैठल बिदेसवा में  काटत फरारी बा। भठिहारा के नांव बाटे बाल ब्रह्मचारी रुप में कलक्टर के घूमत पटवारी बा। बिकास के डुगी बहुते पीटाता बाकिर बिछौना हमार त अभी ले पेटाढ़ी बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

एक नमर लतखोर ह: हरेश्वर राय

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सखिया, सइयां हमार बड़का दंतनिपोर हs एक नमर लतखोर हs ना। लुंगी-गंजी झार के पड़वा का कादो बतियावे काम के नांव प ए बाचो उ सींको ना सरकावे सखिया, सइयां हमार बड़का मुफुतखोर हs एक नमर लतखोर हs ना। गांजा पीये, भांग पिएला, घोंके अउरी ताड़ी सड़लो माठा पी जाला मुअना हांड़ी के हांड़ी सखिया, सइयां हमार बड़का जीभचटोर हs एक नमर लतखोर हs ना। रावन लेखा मोंछ रखेला पेट ओकर नदकोला घोड़मुहां के मुंह देखिके बुचिया कहे भकोला सखिया, सइयां हमार बड़का टुकरखोर हs एक नमर लतखोर हs ना। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

करबि ना नेतागिरी: हरेश्वर राय

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सब कुछ करबि हम, करबि ना नेतागिरी सुनीं ए गिरि बाबा, हेनें आईं हमरा भिरी। झूठे-झूठ ओढ़ना आ झूठे-झूठ बिछवना लोग गरियाइ कहि कहि मटिया लगवना मोसे न होइ भांटगिरी, सुनीं ए गिरि बाबा। देंह भलहीं ठेठाइब, तनी कमहीं कमाइब बाकि चोरी बयमानी के पंजरा ना जाइब चाहीं ना मोके अमीरी, सुनीं ए गिरि बाबा। माल, मंच, माइक आ लाम - लाम कुरता बाबा! एकरे चसक में बिकाइल रमसुरता करता अब बाबागिरी, सुनीं ए गिरि बाबा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

जीय हो जीय ढाठा: हरेश्वर राय

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जीय हो जीय ढाठा साठा में बनल रहs बाईस के पाठा। तोहके खिआइब मलीदा- मलाई बोतल के  बोतल पियाइब दवाई भुअरी के घीव से बनाइब फराठा। रउरा के नाया पोसाक सियवाइब लावा मोबाइल रवा के दियवाइब जूता किनाइ सुनीं नाइकि भा बाटा। आन्ही आ पानी से तोहके बचाइब लूक से बचावे ला सतुआ पियाइब रउरे नावें लिखाई हमार बीसो काठा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मुंह बढ़ल जाता: हरेश्वर राय

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हाथ के कामे ना आ मुंह बढ़ल जाता हमार परान  महमंड देने चढ़ल जाता। महंगाई कलमुंही करेजा खंखोरतिया जवानी के रंग धीरे धीरे झड़ल जाता। लड़ाई लड़े के जोसे नइखे केहुओ में हारल सिपाही अस जंग लड़ल जाता। सोनचिरैयां जरी के काहे खाक भइली दोस के एक दोसरका पर मढ़ल जाता। असली समस्या से ध्यान हटावे खातिर रोजे रोज नया नया नारा गढ़ल जाता। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

का कहीं अपना मन के: हरेश्वर राय

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हमरा अपने ऊपर खिझिआए के मन करता हमरा दोसरो ऊपर खिसियाए के मन करता। गड़हा के महकत पानी अइसन ठहरल बानी आन्ही में पतई लेखा उड़ियाये के मन करता। ना जाने कतना दिन भइल टकटकी लगवला सावन में ढेला अस भिहिलाये के मन करता। अगल- बगल के लोगवन के चरित्तर देख के कबो रोवे, कबो खिलखिलाए के मन करता। अब कतना दिन ले गूंग - बहिर बनल रहे के हमरा ताड़ प चढ़के चिचियाए के मन करता। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

पागल जिया हो गइल: हरेश्वर राय

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प्यार में रउरा पागल जिया हो गइल मोर दिलवा जरत बींड़िया हो गइल। हमके खाए नहाये के सुधि ना रहल ई सरिरिया सूखल छड़िया हो गइल। दढ़िया बढ़ल,  केसवा लटिया गइल मोर निनिया उड़ल चिड़िया हो गइल। मीत जसहीं मिलन के मिलल अंगेया मन में लागल कि ई बढ़ियां हो गइल। हमरा पंजरा कहे के बहुत कुछ रहल पर मिलनी त जीभ बुढ़िया हो गइल। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

आंखि में रात बहुते सेयान हो गइल: हरेश्वर राय

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आंखि  में  रात  बहुते  सेयान हो  गइल हमार असरे में जिनिगी जियान हो गइल। दिल  के  दरिया  में  दर्दे  के  पानी रहल देंह  जइसे  कि  भुतहा मकान हो गइल। आस  के  डोर  टूटल - कटल  भाई  जी आइल सपनों त अचके बिहान ना भइल। हमरा ओठ के बगानी में फूल का खिलल मन के चउरा के तुलसी झंवान हो गइल। सउंसे जिनिगी कटल केकरो रहिए तकत मौत  के  राह  बहुते  आसान  हो  गइल। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

गुरुजी: हरेश्वर राय

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उबारीं गुरुजी जी उबारीं गुरुजी एके बा हंथजोरी उबारीं गुरुजी। माया के कादो में जीव लेटाइल कइसे के  फींचीं पसारीं गुरुजी। हर देने बाटे अन्हारे-अन्हार जी रावा तनिका सा दीं दीयना बारी। हमरा मुरख के दीं रहिया देखाई इहे भीखिया मांगता बा भिखारी। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

गजल लिखि दीं: हरेश्वर राय

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तनिका घूंघटा के टारि दीं गज़ल लिखि दीं रावा मुखड़ा के नांव नीलकमल लिखि दीं। तनिका नैनन के खोलि के अंजोर कइ दीं त ए अंजोर के अंजोरिया धवल लिखि दीं। मुस्कुरा दीं तनीसा अधखिलल कली अस कि हम मधुकर के रानी असल लिखि दीं। मौन  के त अपना  एतना बनाइ दीं मुखर कि एह अदा के नांव ताजमहल लिखि दीं। खाढ़ पल भर रहीं कि भर नजर  देख लीं त ए धरा के सबसे सुन्दर नसल लिख दीं। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

खेल जारी बा: हरेश्वर राय

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सहादत पर सियासत के खेल जारी बा। अमानत में खेआनत के खेल जारी बा। सत्तरो से ऊपर के होखली इ आजादी बिरासत के तिजारत के खेल जारी बा। कहे खातिर बा कानून के राज बाकिर हिरासत के जमानत के खेल जारी बा। गांव से सहर तक संड़क से सदन तक बयमानन के स्वागत के खेल जारी बा। लोकतंत्र के नांव प सालन पच्चास से हर जगहा महाभारत के खेल जारी बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

बढ़ियां गुलमिये रहे: हरेश्वर राय

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ए अजदिया से बढ़ियां गुलमिये रहे बहुरुपियन से नीमन जुलमिये रहे। जहर आ माहुर इ पेनवा ओकाता ठीक एकरा से कंडा कलमिये रहे। कइयक गो घर बाटे दारु से उजरल एह दरुइया से नीमन लबनिये रहे। चाटs ताटे भुअरा सुगरवा जवानी नीक एकरा से लामी चिलमिये रहे। मासे-मास चारु देने बाटे लदराइल पिजा बरगर से आछा ललमिये रहे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

हमरा प्यार हो गइल: हरेश्वर राय

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हमके रोग एगो बड़ी बरियार हो गइल यार प्यार हो गइल यार प्यार हो गइल। कवनो नैनन के बान आ करेजा धंसल कठकरेजावा हमार कचनार हो गइल। केकरो रुप के नसा आंख में आ बसल हमरी जिनिगी से चएन फरार हो गइल। कवनो पुरवा निगोड़िया के पाके छुवन दरद दिल के समुंदर में ज्वार हो गइल। हमपे दइबा के किरिपा बा भारी भइल इ प्यार जीए ला ठेहा बरियार हो गइल। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

खाली खाली थाली देखनी: हरेश्वर राय

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गांवन में फटहाली देखनी नगरन में बदहाली देखनी मेहनतकस अदमी के हाथे खाली खाली थाली देखनी। ठंढा चूल्हा चिसत देखनी गोड़े बेवाई रिसत देखनी मालिक लोगन के सेवा में कइ गो एंड़ी घिसत देखनी। त्योहारन के रोवत देखनी बीज फूट के बोवत देखनी परवत जइसन दरद लेके बाबूजी के ढोवत देखनी। फूलन के मरुआइल देखनी सूलन के अगराइल देखनी अगहन पूस महीना में भी दुपहरी खरुआइल देखनी। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

अब सहात निकले: हरेश्वर राय

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हमके का हो गइल बा बुझात नइखे हीत मीत गीत कुछुओ सोहात नइखे। हम त दौरत रहीला फिफिहिया बनल हमरा जतरा के रहिया ओरात नइखे। हमके पलछिन बरिस के बराबर लगे हाय ! रात रकसिनिया कटात नइखे। मोहे बिसतर प लागे कवाछ परल बा मोसे करवट के बदलल रोकात नइखे। दिल में एतना दरद बा जे का हम कहीं कवनो बएदा बोलवा दीं सहात नइखे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

सरकारी बोक्कड़: हरेश्वर राय

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कल्हिआं कहत रहलन बच्चू पटवारी ए बाबा आइल बड़ुए एग्गो बोक्का सरकारी ए बाबा। बकरे जैसन इहो बसाता एकदम्मे बोकराइन नाक दबा के कहत रहलीहs नटुरो ठकुराइन कादो एक नमर के बड़ुए ब्यभिचारी ए बाबा। टुंगिया टुंगिया टूस्से खाता ई बोकड़ा सरकारी लागत बा कि बांचे ना दी गोएंड़ा के तरकारी डर से केहुओ नइखे मारत टिटिकारी ए बाबा। करत फिरत बा बोबो बाबा संउसे गांव जवार छींटत बाटे आपन लेंड़िया सभके खेत- बधार चलतs अइसे बाटे, जइसे अधिकारी ए बाबा। देखे में पड़वा जस लागे मुंह बा थोबर- थाबर तहरे झबरा कुकुरा जइसन उ बाटे चितकाबर ओकरा दरसन खाति होता मारामारी ए बाबा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मनवा फागुन महीना हमार भइल बा: हरेश्वर राय

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 मोर जहिए से नैन दू से चार भइल बा हई हियरा हमार हरसिंगार भइल बा। पहs फाटल अंजोरे- अंजोर हो गइल पांख में जोस के त भरमार भइल बा। जाल बंधन के तहस- नहस हो गइल कुल्हिए अंबर समुंदर हमार भइल बा। त पूस के दिन बीतल बसंत आ गइल मनवा फागुन महीना हमार भइल बा। प्यार के ए नसा में अस बुझाता इयार संउसे जगवा अकेले हमार भइल बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

नया नगर बरसाईं जा: हरेश्वर राय

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उ घर, घर ना हs जवना प कवनों छानी ना होखे  उ नैन कइसन, जवना में कवनो पानी ना होखे। दाम्पत्य के देवाला निकले में इचको देर ना लागे त्याग-समर्पन के राही जदि दूनों परानी ना होखे। दिल के अइसन सिंघासन के का मतलब हरेश्वर जवना प बइठल कवनो रानी-महरानी ना होखे। ओह जिनिगिया के कीमत दू कौड़ी के रहि जाला जवना में चानी काटे के कवनो कहानी ना होखे। अब चलीं सभे चलीं जा एगो नया नगर बसाईं जा जहां खाली प्यारे- मोहब्बत होखे, सैतानी ना होखे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

उलूक वंदना: हरेश्वर राय

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सुन लीं अरजिया हमार, उलुकदेव! सुन लीं अरजिया हमार I जोड़िला हाँथवा गोड़वा परिला भजिला दाँतावा चिहार।। उलुकदेव! ...।। मोहक चोंच नयन अभिरामा रउरा प लछमी सवार ।। उलुकदेव! ...।। पहिल अरज बा रउआ भगत के माल गिराईं छप्पर फार।। उलुकदेव! ...।। दोसर अरज बा रउरा भगत के मारीं देआदन के भिथार ।। उलुकदेव! ...।। रउवे हमार बाबू रउवे हईं दादा रउवे हईं सरsकार ।। उलुकदेव! ...।। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

नाया गीत गावे द: हरेश्वर राय

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खोल द केवारी आ तेज हवा आवे दs कोनवा के सीलन के गरदा उड़ावे दs। सांस लिहल मुसकिल बा घुटsता दम फोर के देवाल एगो खिड़की बनावे दs। आज रतिया सियाही से बिया नेहाइल दीयवा के टेम्हिया से खोठी हटावे दs। चारु देनिये पसरल बा चुप्पी के जंगल एह चुप्पी के जंगल प ढेला चलावे दs। अब त बंदी जबान के रिहाई जरुरी बा जाए द बहरी अब नाया गीत गावे दs। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

रोटी के सवाल: हरेश्वर राय

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करे लागल एगो रोटी सवाल सांवरो रहे पटरी पर गिरल निढाल सांवरो। कहां गइल उ भोलाभाला हम जिनकर पकवान रहीं सपनपरी हम जेकर रहनी हम जिनकर भगवान रहीं कहां गइल सभकर प्यारा गोपाल सांवरो। मानस के चउपाई रहे उ रहल गीता के पाठशाला कहां गइल उ करम बीर जे रहल बहुत दिलवाला बोलs नाहीं त आ जाई भूचाल सांवरो। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

भजु रे मन भलुनी भवानी: हरेश्वर राय

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नीयराइल बा फेर से चुनाव भजु रे मन भलुनी भवानी। कउअन के होई कांव कांव।।भजु...।। पांच बरीस प साजन अइहें संगे संगे गोधन के ले अइहें गांवें- गांवें होई मन- मोटांव।।भजु...।। गर में गेना के माल पहीरले धोतीखूंटा के जेबी में डरले फेंकरत फिरीहें गांवें- गांव।।भजु...।। कबो धुआं जस मुंह बनइहें आपन जूत्ता अपनहीं खइहें चलत रहीहें नया नया दांव।।भजु...।। जीतीहें जइहें फेरू ना अइहें लूटीहें कूटीहें आ पीहें खइहें पूछीहें कब्बो ना नांव- गांव।।भजु...।। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मन उदास बा: हरेश्वर राय

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सुखात नदी जस मन उदास बा। असरा के चान प लागल बा गरहन सपना के पांखी प घाव भइल बड़हन डेगे डेग पसरल खाली पियास बा। आंखी के बागी में पतझड़ के राज बा मन के मुंड़ेरा प गिर रहल गाज बा उदासी के गरल से भरल गिलास बा। हंसी के फूल प उगि आइल सूल खुसी के खेत में बा जामल बबूल केकरा के कहीं गैर के आपन खास बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

इहे हाल चाल बा: हरेश्वर राय

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गईंया के पकड़ी प बइठल बा गीध मुस्किल मनावल बा होली आ ईद। खेतन में एह साल फूटल बा भूआ सहुआ दुआरी पर बइठल बा मूआ। चूल्हन के फोरि फोरि माटी बंटाईल आगन के छाती बा चरचर चिराईल। मेहरि के ठेहुन के तेल सुखाइल बा बेटी के आंख में माड़ा फुलाइल बा। मू गइले बाबू हमार भइल ना दवाई माई के पिनसीन प होखता लड़ाई। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

नारायण नारायण नारायण: हरेश्वर राय

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बिली सब दिल्ली गइली सन, कुक्कुर कासी धाम गदहा सभ घोड़ा भइलन स, गटक गटक के जाम सिरिमन नारायण नारायण नारायण.. सिरिमन...। जवन मुंह जुतिआवे लाएक, बड़ कचरत बा पान उल्लू के पट्ठवन भीरिए सभ, सिरी उधव के ज्ञान सिरिमन नारायण नारायण नारायण.. सिरिमन...। जेकर कुरुतवा जतने लमहर, ओतने दाम हंसोथे जे कबहूं ना बोवल खेंसारी, सभकर बूंटवा चोंथे सिरिमन नारायण नारायण नारायण.. सिरिमन...। जेही लगावत फेंड़ बबुरी, चाभ रहल मलगोफ्फा जे बंसखटिया के लाएक ना, तूर रहल बा सोफा सिरिमन नारायण नारायण नारायण.. सिरिमन..। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

अंदर के बाघवा जगावे चलीं: हरेश्वर राय

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थीर पानी में छिछिली कटावे चलीं कोना कोना से जाला हटावे चलीं। जदी अंगुरी अंगार से बचावे के बा ठोस लोहा के सिउंठा बनावे चलीं। मनवां उड़े के बाटे आकसवा में तs चलीं बझवन से पंजा लड़ावे चलीं। कारी रतिया के करे दुरगतिया बदे चलीं अंजुरी में सुरुज उठावे चलीं। अगर जीए के बड़ुए त लड़हीं पड़ी चलीं अंदर के बाघवा जगावे चलीं। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

हिपिप हुर्रे हुर्रे: हरेश्वर राय

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गउआं सहरियो से आले हिपिप हुर्रे हुर्रे गारी भरल बा गालेगाले हिपिप हुर्रे हुर्रे। सतुआ घुध्धुनिआ के मोलवा खतम बा चलsतरुए ढोसा मसाले हिपिप हुर्रे हुर्रे। माई बाबू अपना बुढ़उती के लठिआ से भोरे भोर रोजहीं कुटाले हिपिप हुर्रे हुर्रे। रिस्ता ना बांचल बा तलवा तलइयन से पाइप से भुअरी धोआले हिपिप हुर्रे हुर्रे। ढेरी के ऊपरा बढांव बब्बवा बइठल बा नीचवा से रोज मूस चाले हिपिप हुर्रे हुर्रे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

बिधाएक हो गइल: हरेश्वर राय

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बिधाएक हो गइल जी, बिधाएक हो गइल रहे नकटा नालायक जी बिधाएक हो गइल। एमेबीएफ कइके नकटा घोंके लागल पउवा खाए लागल मुरगा मुरगी खंसी पाठी कौआ टोल मुहल्ला खातिर उ दुखदाएक हो गइल। चेला चटिया बनले ओकर चोर उचक्का ढेरो गैंड़ा के कुछ खेत हटाके लेलस कीन बलेरो उ बीर बहादुर एम पी के सहाएक हो गइल। मोहे लेचल पटिआ के त मिलल ओके टिकट पोलिंग दिने हरेक बूथ प भइल लड़ाई बिकट भारी मत से जीत के नक्कट नाएक हो गइल। गाड़ी साड़ी कुल्हि मिलल मिलले ढेरो संतरी लाद के सोना घूमे लागल अपना गतरी गतरी अब एक नमर के नकटा खलनायक हो गइल। नोट: १.एमएबीएफ= मैट्रिक अपीयर्ड बट फेल्ड। २. मोहे लेचल= पाटी के नांव ह। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

गाँव के हाल: हरेश्वर राय

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गउंवे के लइकी ले भागल  बा मलुआ मौगी के ओकरा घोंटात नइखे हलुआ। जटुल कक्का भइल बाड़े नेता  निठाह बुढ़ौती में नक्कट के भइल हा बिआह। पांच काठा बांचल रहे उहो बिकाइल हा भिखारी के नाधा आ जोती टंगाइल हा। पुजारी जी के जियरा परल बा सकेत में भगतिनिया के संगे धराइल बाड़े खेत में। पंडइया के रखनी चुनाइल बिया मुखिया देखीं उघारत बिया केकर केकर बखिया। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

एनिए के भइनी ना ओनिए के रहनीं: हरेश्वर राय

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अपने मुलुक में हम भइनी बिदेसिया जी कहां जाके जिनिगी बिताईं ए संघतिया। सांझ बिहान छूटल बाबा के दलान छूटल हम दिल के दरद का बताईं ए संघतिया। तीज तेवहार गइल जियल मोहाल भइल अब मनवां में घुलता खंटाई ए संघतिया। कहूं गारी खात बानी कतहूं पिटात बानी कहां जाके हाड़ावा  ठेठाईं ए संघतिया। गांव घर मुंह फेरल नाहीं केहु परल हरल बा रोकले रुकत ना रोवाई ए संघतिया। एनिए के भइनी ना ओनिए के रहनीं जी मोर मन करे फंसरी लगाईं ए संघतिया। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

गाँव में: हरेश्वर राय

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पिरितिया के छौंड़ी पढ़ावले जोगा सिरतिया के छौंड़ा बनल ह दरोगा गड़ही में  कवनो के गिरल बा पेट बढ़ि गइल मुरुगा आ दारु  के रेट हर जगहा एकरे चरचा बा गांव में। आईल गइल बाs नेवता हंकार बा बेटी बहुरियन के सवख सिंगार बा गैस बा गाड़ी बा दूध के उठौना बा बाबू के फीस बा बुची के गौना बा बबुआ रे! बड़ी खरचा बा गांव में। चोरी चकारी बा केस फौजदारी बा काली मंदीरवा प चोरवा पुजारी बा कतो बा भुईंहारी कतो बा राजपूती हरलका मुखिअवा लगावताs लूती सुगना रे! मरीचे मरीचा बा गांव में। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

हम्मर पप्पू हो गइल बा अधकपारी ए लोगे: हरेश्वर राय

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हम्मर पप्पू हो गइल बा अधकपारी ए लोगे बीगहा बइ कके किनले बा सफारी ए लोगे। डाल बिहंचली गरवा गमछी रउंदे गांव जवार एकरा भइल बाटे लफुअन से इयारी ए लोगे। गहुम चाउर बूंट मटर के दाना भइल मोहाल इजत भइल बिया मोरी अब खेंसारी ए लोगे। बाप ददा के कइल कमाई हवा में उधियाइल मनवां करत बड़ुए रोईं पुक्का फारि ए लोगे। गांव के तीसी में ना बांचल बड़ुए तनिको तेल चलनीं देंह ठेठावे खातिर माराफारी ए लोगे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.