अलविदा साथियों: हरेश्वर राय
चल रहा हूं अभी अलविदा साथियों
फिर मिलूंगा कभी अलविदा साथियों।
तेरी महफ़िल में मैं था अकेला बहुत
इसलिए जा रहा अलविदा साथियों।
रह चुका मैं बहुत दिन किसी कैद में
अब रिहा हो रहा अलविदा साथियों।
ये जो अंबर खुला है बहुत दूर तक
उड़ने अब चला अलविदा साथियों।
मैंने वादा किया था किसी से कभी
अब निभाने चला अलविदा साथियों।
फिर मिलूंगा कभी अलविदा साथियों।
तेरी महफ़िल में मैं था अकेला बहुत
इसलिए जा रहा अलविदा साथियों।
रह चुका मैं बहुत दिन किसी कैद में
अब रिहा हो रहा अलविदा साथियों।
ये जो अंबर खुला है बहुत दूर तक
उड़ने अब चला अलविदा साथियों।
मैंने वादा किया था किसी से कभी
अब निभाने चला अलविदा साथियों।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें