कमाए अब ना जाइब ए बाबा: हरेश्वर राय

चाहे लाख रावा हमके समुझाईं
कमाए अब ना जाइब ए बाबा।

जेकरे खातिर हम कइनी
आपन कुरबान जवानी
बिपतकाल में उहे करत बा
हमरा संग बएमानी
बिना मोल के भइल सेवकाई।।कमाए..।।

हमीं बिछवनी रेल पटरिया
हमीं बनवनी पूल
महल अटारी हमीं बनवनी
हमीं खिलवनी फूल
हमरे होता लाटा जस कुटाई।।कमाए..।।

ओने से तो गइबे  कइनी
एनिओ के ना बानी
त्रिशंकु के हाल भइल बा
बीचहीं लटकल बानी
हाथ मलतानी छूटता रोवाई।।कमाए..।।

गवहीं मरब गवहीं खपब
बहरा अब ना जाइब
किरिया खाके कहतानी
एहीजे जीयब खाइब
चाहे लाख रउरा मारीं गरियाईं।।कमाए..।।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

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