संदेश

जुलाई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चलुचलु रे मनवां गांव: हरेश्वर राय

चित्र
चलुचलु रे मनवां गांव कि तनिका घूमि आईं कउआ ममवा के कांव रे तनिका सुनि आईं। निर्मोही के एह नगरी में पियरइली सन आंख गिद्धराज जटायु लेखा कटल गिरल बा पांख अब बूढ़ - बुजुर्गन के तनिका सुन गुनि आईं चलुचलु रे मनवां गांव कि तनिका घूमि आई। ओद पुअरसी लेखा तनवां गते- गते जरत बा गते- गते नोनी जइसन मनवां हमार झरत बा होखनीं हम जोर एकहरा तनिक दूगुनि आईं चलुचलु रे मनवां गांव कि तनिका घूमि आईं। प्यार मुहब्बत इहां ना बाटे माहुर बोकरे नल का जाने कइसन बा आपन आवे वाला कल त दादी अम्मा के पांव  त तनिका चूमि आईं चलुचलु रे मनवां गांव कि तनिका घूमि आईं। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

काहे मारेल मुसुकिया: हरेश्वर राय

चित्र
काहे मारेलs मुसुकिया तू ऐसन जनमार कि कइलs हियरा में हमरा दरारे - दरार। मिलबs त तोहके बताइब हम संघतिया कि बच्चू सचहूं के हईं हमहूं तिरहुतिया तहरा मुसुकी मिसाइल से होई तकरार। जवन वादा भइल बा तूं जनि भूल जइह कबो दोसरा के देखके तूं जनि मुसुकइह तहरा मुसुकी प बाटे हमार एकाधिकार। जदि बतिया ना मनबs ए बचवा हरेसर त दिहबs छोड़ाइ तहार बनल परफेसर दिलफेंक बनल छूटी तहार एही एतवार। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

इयार कहेली: हरेश्वर राय

चित्र
प्यार से हमके धनियां इयार कहेली आ चोन्हाली त बुढ़उ हमार कहेली। कबो कबो जब उ खिसिया जाली त त उ हमके मीआदी बोखार कहेली। जेब में जब रुपुलिया ना एकहू मिले मुंह चुनिया के रानी भिखार कहेली। चीर के दिल देखवनी कइक बेर हम एक नमरिया उ तबहूं लबार कहेली। जब कबो काल हम रिसिया जाइला पुच्चुकारेली गोरेया डीहवार कहेली। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

भोजपुरी: हरेश्वर राय

चित्र
हमार सान ह, हमार पहचान ह भोजपुरी हमार मतारी ह, हमार जान ह भोजपुरी। इहे ह खेत, इहे खरिहान ह इहे ह सोखा, इहे सिवान ह हमार सुरुज, हमार चान ह भोजपुरी। बचपन बुढ़ापा ह, इहे जवानी अगिया भी इहे ह, इहे ह पानी हमार सांझ, हमार बिहान ह भोजपुरी। ओढ़िला इहे, आ इहे बिछाइला कूटिला इहे, आ इहे पिसाइला हमार चाउर, हमार पिसान ह भोजपुरी। धरनिया ह इहे, इहे ह छान्ही हमरा पसीना के ह इ कहानी हमार तीर ह, हमार कमान ह भोजपुरी। इहे ह कजरी, इहे ह फाग इहे कबीरा ह, इहे ह घाघ हमार धरम ह, हमार ईमान ह भोजपुरी। हरेश्वर राय  प्रोफेसर ऑफ़ इंग्लिश  शासकीय पी. जी. महाविद्यालय सतना  सतना मध्य प्रदेश 

लहरिया लागे ए राम: हरेश्वर राय

चित्र
जेठ के महीनवा के मध दुपहरिया, लहरिया लागे ए राम सनकल बा पछेया बेयरिया, लहरिया लागे ए राम। सून बंसवरिया आ सून फुलवरिया, लहरिया लागे ए राम सूनी रे डगरिया बधरिया, लहरिया लागे ए राम। सूखली तलइया आ मुअली मछरिया, लहरिया लागे ए राम आहर पोखर में पपरिया, लहरिया लागे ए राम। फेंड़वा ना रुखवा ना कतहीं छहंरिया, लहरिया लागे ए राम घरवा बा बेगर केवरिया, लहरिया लागे ए राम। सावन के असवा प गिरल बजरिया, लहरिया लागे ए राम पिया जाके फंसले सहरिया, लहरिया लागे ए राम। हरेश्वर राय  प्रोफेसर ऑफ़ इंग्लिश  शासकीय पी. जी. महाविद्यालय सतना  सतना मध्य प्रदेश 

जवानी खपि जाई बचवा: हरेश्वर राय

चित्र
गउवां छोड़ि सहर जनि जइहs, हो जइबs बे पानी जवानी खपि जाई बचवा। होखे ऐसन जनि नादानी, जवानी खपि जाई बचवा। ताल - तलइया सब छूटि जइहें, छूटिहें बाबू माई बर्हम बाबा के छूटी चउतरा, छूटिहें छोटका भाई सुसुक सुसुक के रोइबs बबुआ, केहू ना पहिचानी जवानी खपि जाई बचवा। गली-गली मीरजाफर ओइजा चौक चौक जयचंद टूंड़ उठवले बिच्छू मिलिहन, फू - फू करत भुजंग चउबीस घंटा होई पेराई, होइ जाई कमर कमानी जवानी खपि जाई बचवा। बासी बासी सुबह मिली, अरुआइल सांझ उदास पंख नोचाइल चिरईं बनबs, भुंइ प गिरी आकास आन्हर गूंग बहिर होइ जइबs, होई खतम कहानी जवानी खपि जाई बचवा। हरेश्वर राय  प्रोफेसर ऑफ़ इंग्लिश  शासकीय पी. जी. महाविद्यालय सतना  सतना मध्य प्रदेश 

कजरी: हरेश्वर राय

चित्र
हरि हरि बाबा के लगावल फुलवरिया चलीं जा उजारे ए हरि। ओही फुलवरिया में चम्पा चमेली सुंदर आरे रामा कठिया लगाके चलीं बारे चलीं जा उजारे ए हरि। ओही फुलवरिया में तितली फतिंगी उड़ें आरे रामा चलीं जा पंखिया कबारे चलीं जा उजारे ए हरि। ओही फुलवरिया में सावन के झूला रामा आरे रामा चलीं जा ओके तुरे- तारे चलीं जा उजारे ए हरि। ओही फुलवरिया में बाबा के आत्मा रामा आरे रामा चलीं जा ओहके अखाड़े चलीं जा उजारे ए हरि। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

राजाजी: हरेश्वर राय

चित्र
राजाजी पोसले बानी चार गो कहांर पंडित आ ठाकुर आ अहीर चमार। के चांपी कम माल के चांपी जादा जूझता लोग एहीके लेके चारु यार। सभे के आपन-आपन बाड़े भगवान आपन आपन तीज आपन त्योहार। हर जगे कोटवा के बढ़ला चलन से बढ़ल जाता गते-गते दिल के दरार। बानरा बनाके नचावत बा मदरिया उहे हिगरावत बड़ुए पोखरा इनार। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

सब अखबारी बा: हरेश्वर राय

चित्र
जनता धुधुकारी राजा अधकपारी बा सब हवा-हवाई बा सब अखबारी बा। रामराज के सपना घूमता लुआठाईल सहीदन के कर्जा अभी ले उधारी बा। देस के खजाना लेके उड़ल गोसईंया बैठल बिदेसवा में  काटत फरारी बा। भठिहारा के नांव बाटे बाल ब्रह्मचारी रुप में कलक्टर के घूमत पटवारी बा। बिकास के डुगी बहुते पीटाता बाकिर बिछौना हमार त अभी ले पेटाढ़ी बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

एक नमर लतखोर ह: हरेश्वर राय

चित्र
सखिया, सइयां हमार बड़का दंतनिपोर हs एक नमर लतखोर हs ना। लुंगी-गंजी झार के पड़वा का कादो बतियावे काम के नांव प ए बाचो उ सींको ना सरकावे सखिया, सइयां हमार बड़का मुफुतखोर हs एक नमर लतखोर हs ना। गांजा पीये, भांग पिएला, घोंके अउरी ताड़ी सड़लो माठा पी जाला मुअना हांड़ी के हांड़ी सखिया, सइयां हमार बड़का जीभचटोर हs एक नमर लतखोर हs ना। रावन लेखा मोंछ रखेला पेट ओकर नदकोला घोड़मुहां के मुंह देखिके बुचिया कहे भकोला सखिया, सइयां हमार बड़का टुकरखोर हs एक नमर लतखोर हs ना। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

करबि ना नेतागिरी: हरेश्वर राय

चित्र
सब कुछ करबि हम, करबि ना नेतागिरी सुनीं ए गिरि बाबा, हेनें आईं हमरा भिरी। झूठे-झूठ ओढ़ना आ झूठे-झूठ बिछवना लोग गरियाइ कहि कहि मटिया लगवना मोसे न होइ भांटगिरी, सुनीं ए गिरि बाबा। देंह भलहीं ठेठाइब, तनी कमहीं कमाइब बाकि चोरी बयमानी के पंजरा ना जाइब चाहीं ना मोके अमीरी, सुनीं ए गिरि बाबा। माल, मंच, माइक आ लाम - लाम कुरता बाबा! एकरे चसक में बिकाइल रमसुरता करता अब बाबागिरी, सुनीं ए गिरि बाबा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

जीय हो जीय ढाठा: हरेश्वर राय

चित्र
जीय हो जीय ढाठा साठा में बनल रहs बाईस के पाठा। तोहके खिआइब मलीदा- मलाई बोतल के  बोतल पियाइब दवाई भुअरी के घीव से बनाइब फराठा। रउरा के नाया पोसाक सियवाइब लावा मोबाइल रवा के दियवाइब जूता किनाइ सुनीं नाइकि भा बाटा। आन्ही आ पानी से तोहके बचाइब लूक से बचावे ला सतुआ पियाइब रउरे नावें लिखाई हमार बीसो काठा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मुंह बढ़ल जाता: हरेश्वर राय

चित्र
हाथ के कामे ना आ मुंह बढ़ल जाता हमार परान  महमंड देने चढ़ल जाता। महंगाई कलमुंही करेजा खंखोरतिया जवानी के रंग धीरे धीरे झड़ल जाता। लड़ाई लड़े के जोसे नइखे केहुओ में हारल सिपाही अस जंग लड़ल जाता। सोनचिरैयां जरी के काहे खाक भइली दोस के एक दोसरका पर मढ़ल जाता। असली समस्या से ध्यान हटावे खातिर रोजे रोज नया नया नारा गढ़ल जाता। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

का कहीं अपना मन के: हरेश्वर राय

चित्र
हमरा अपने ऊपर खिझिआए के मन करता हमरा दोसरो ऊपर खिसियाए के मन करता। गड़हा के महकत पानी अइसन ठहरल बानी आन्ही में पतई लेखा उड़ियाये के मन करता। ना जाने कतना दिन भइल टकटकी लगवला सावन में ढेला अस भिहिलाये के मन करता। अगल- बगल के लोगवन के चरित्तर देख के कबो रोवे, कबो खिलखिलाए के मन करता। अब कतना दिन ले गूंग - बहिर बनल रहे के हमरा ताड़ प चढ़के चिचियाए के मन करता। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

पागल जिया हो गइल: हरेश्वर राय

चित्र
प्यार में रउरा पागल जिया हो गइल मोर दिलवा जरत बींड़िया हो गइल। हमके खाए नहाये के सुधि ना रहल ई सरिरिया सूखल छड़िया हो गइल। दढ़िया बढ़ल,  केसवा लटिया गइल मोर निनिया उड़ल चिड़िया हो गइल। मीत जसहीं मिलन के मिलल अंगेया मन में लागल कि ई बढ़ियां हो गइल। हमरा पंजरा कहे के बहुत कुछ रहल पर मिलनी त जीभ बुढ़िया हो गइल। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

आंखि में रात बहुते सेयान हो गइल: हरेश्वर राय

चित्र
आंखि  में  रात  बहुते  सेयान हो  गइल हमार असरे में जिनिगी जियान हो गइल। दिल  के  दरिया  में  दर्दे  के  पानी रहल देंह  जइसे  कि  भुतहा मकान हो गइल। आस  के  डोर  टूटल - कटल  भाई  जी आइल सपनों त अचके बिहान ना भइल। हमरा ओठ के बगानी में फूल का खिलल मन के चउरा के तुलसी झंवान हो गइल। सउंसे जिनिगी कटल केकरो रहिए तकत मौत  के  राह  बहुते  आसान  हो  गइल। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

गुरुजी: हरेश्वर राय

चित्र
उबारीं गुरुजी जी उबारीं गुरुजी एके बा हंथजोरी उबारीं गुरुजी। माया के कादो में जीव लेटाइल कइसे के  फींचीं पसारीं गुरुजी। हर देने बाटे अन्हारे-अन्हार जी रावा तनिका सा दीं दीयना बारी। हमरा मुरख के दीं रहिया देखाई इहे भीखिया मांगता बा भिखारी। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

गजल लिखि दीं: हरेश्वर राय

चित्र
तनिका घूंघटा के टारि दीं गज़ल लिखि दीं रावा मुखड़ा के नांव नीलकमल लिखि दीं। तनिका नैनन के खोलि के अंजोर कइ दीं त ए अंजोर के अंजोरिया धवल लिखि दीं। मुस्कुरा दीं तनीसा अधखिलल कली अस कि हम मधुकर के रानी असल लिखि दीं। मौन  के त अपना  एतना बनाइ दीं मुखर कि एह अदा के नांव ताजमहल लिखि दीं। खाढ़ पल भर रहीं कि भर नजर  देख लीं त ए धरा के सबसे सुन्दर नसल लिख दीं। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

खेल जारी बा: हरेश्वर राय

चित्र
सहादत पर सियासत के खेल जारी बा। अमानत में खेआनत के खेल जारी बा। सत्तरो से ऊपर के होखली इ आजादी बिरासत के तिजारत के खेल जारी बा। कहे खातिर बा कानून के राज बाकिर हिरासत के जमानत के खेल जारी बा। गांव से सहर तक संड़क से सदन तक बयमानन के स्वागत के खेल जारी बा। लोकतंत्र के नांव प सालन पच्चास से हर जगहा महाभारत के खेल जारी बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

बढ़ियां गुलमिये रहे: हरेश्वर राय

चित्र
ए अजदिया से बढ़ियां गुलमिये रहे बहुरुपियन से नीमन जुलमिये रहे। जहर आ माहुर इ पेनवा ओकाता ठीक एकरा से कंडा कलमिये रहे। कइयक गो घर बाटे दारु से उजरल एह दरुइया से नीमन लबनिये रहे। चाटs ताटे भुअरा सुगरवा जवानी नीक एकरा से लामी चिलमिये रहे। मासे-मास चारु देने बाटे लदराइल पिजा बरगर से आछा ललमिये रहे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

हमरा प्यार हो गइल: हरेश्वर राय

चित्र
हमके रोग एगो बड़ी बरियार हो गइल यार प्यार हो गइल यार प्यार हो गइल। कवनो नैनन के बान आ करेजा धंसल कठकरेजावा हमार कचनार हो गइल। केकरो रुप के नसा आंख में आ बसल हमरी जिनिगी से चएन फरार हो गइल। कवनो पुरवा निगोड़िया के पाके छुवन दरद दिल के समुंदर में ज्वार हो गइल। हमपे दइबा के किरिपा बा भारी भइल इ प्यार जीए ला ठेहा बरियार हो गइल। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

खाली खाली थाली देखनी: हरेश्वर राय

चित्र
गांवन में फटहाली देखनी नगरन में बदहाली देखनी मेहनतकस अदमी के हाथे खाली खाली थाली देखनी। ठंढा चूल्हा चिसत देखनी गोड़े बेवाई रिसत देखनी मालिक लोगन के सेवा में कइ गो एंड़ी घिसत देखनी। त्योहारन के रोवत देखनी बीज फूट के बोवत देखनी परवत जइसन दरद लेके बाबूजी के ढोवत देखनी। फूलन के मरुआइल देखनी सूलन के अगराइल देखनी अगहन पूस महीना में भी दुपहरी खरुआइल देखनी। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

अब सहात निकले: हरेश्वर राय

चित्र
हमके का हो गइल बा बुझात नइखे हीत मीत गीत कुछुओ सोहात नइखे। हम त दौरत रहीला फिफिहिया बनल हमरा जतरा के रहिया ओरात नइखे। हमके पलछिन बरिस के बराबर लगे हाय ! रात रकसिनिया कटात नइखे। मोहे बिसतर प लागे कवाछ परल बा मोसे करवट के बदलल रोकात नइखे। दिल में एतना दरद बा जे का हम कहीं कवनो बएदा बोलवा दीं सहात नइखे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

सरकारी बोक्कड़: हरेश्वर राय

चित्र
कल्हिआं कहत रहलन बच्चू पटवारी ए बाबा आइल बड़ुए एग्गो बोक्का सरकारी ए बाबा। बकरे जैसन इहो बसाता एकदम्मे बोकराइन नाक दबा के कहत रहलीहs नटुरो ठकुराइन कादो एक नमर के बड़ुए ब्यभिचारी ए बाबा। टुंगिया टुंगिया टूस्से खाता ई बोकड़ा सरकारी लागत बा कि बांचे ना दी गोएंड़ा के तरकारी डर से केहुओ नइखे मारत टिटिकारी ए बाबा। करत फिरत बा बोबो बाबा संउसे गांव जवार छींटत बाटे आपन लेंड़िया सभके खेत- बधार चलतs अइसे बाटे, जइसे अधिकारी ए बाबा। देखे में पड़वा जस लागे मुंह बा थोबर- थाबर तहरे झबरा कुकुरा जइसन उ बाटे चितकाबर ओकरा दरसन खाति होता मारामारी ए बाबा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मनवा फागुन महीना हमार भइल बा: हरेश्वर राय

चित्र
 मोर जहिए से नैन दू से चार भइल बा हई हियरा हमार हरसिंगार भइल बा। पहs फाटल अंजोरे- अंजोर हो गइल पांख में जोस के त भरमार भइल बा। जाल बंधन के तहस- नहस हो गइल कुल्हिए अंबर समुंदर हमार भइल बा। त पूस के दिन बीतल बसंत आ गइल मनवा फागुन महीना हमार भइल बा। प्यार के ए नसा में अस बुझाता इयार संउसे जगवा अकेले हमार भइल बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

नया नगर बरसाईं जा: हरेश्वर राय

चित्र
उ घर, घर ना हs जवना प कवनों छानी ना होखे  उ नैन कइसन, जवना में कवनो पानी ना होखे। दाम्पत्य के देवाला निकले में इचको देर ना लागे त्याग-समर्पन के राही जदि दूनों परानी ना होखे। दिल के अइसन सिंघासन के का मतलब हरेश्वर जवना प बइठल कवनो रानी-महरानी ना होखे। ओह जिनिगिया के कीमत दू कौड़ी के रहि जाला जवना में चानी काटे के कवनो कहानी ना होखे। अब चलीं सभे चलीं जा एगो नया नगर बसाईं जा जहां खाली प्यारे- मोहब्बत होखे, सैतानी ना होखे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

उलूक वंदना: हरेश्वर राय

चित्र
सुन लीं अरजिया हमार, उलुकदेव! सुन लीं अरजिया हमार I जोड़िला हाँथवा गोड़वा परिला भजिला दाँतावा चिहार।। उलुकदेव! ...।। मोहक चोंच नयन अभिरामा रउरा प लछमी सवार ।। उलुकदेव! ...।। पहिल अरज बा रउआ भगत के माल गिराईं छप्पर फार।। उलुकदेव! ...।। दोसर अरज बा रउरा भगत के मारीं देआदन के भिथार ।। उलुकदेव! ...।। रउवे हमार बाबू रउवे हईं दादा रउवे हईं सरsकार ।। उलुकदेव! ...।। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

नाया गीत गावे द: हरेश्वर राय

चित्र
खोल द केवारी आ तेज हवा आवे दs कोनवा के सीलन के गरदा उड़ावे दs। सांस लिहल मुसकिल बा घुटsता दम फोर के देवाल एगो खिड़की बनावे दs। आज रतिया सियाही से बिया नेहाइल दीयवा के टेम्हिया से खोठी हटावे दs। चारु देनिये पसरल बा चुप्पी के जंगल एह चुप्पी के जंगल प ढेला चलावे दs। अब त बंदी जबान के रिहाई जरुरी बा जाए द बहरी अब नाया गीत गावे दs। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

रोटी के सवाल: हरेश्वर राय

चित्र
करे लागल एगो रोटी सवाल सांवरो रहे पटरी पर गिरल निढाल सांवरो। कहां गइल उ भोलाभाला हम जिनकर पकवान रहीं सपनपरी हम जेकर रहनी हम जिनकर भगवान रहीं कहां गइल सभकर प्यारा गोपाल सांवरो। मानस के चउपाई रहे उ रहल गीता के पाठशाला कहां गइल उ करम बीर जे रहल बहुत दिलवाला बोलs नाहीं त आ जाई भूचाल सांवरो। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.