चलुचलु रे मनवां गांव: हरेश्वर राय
चलुचलु रे मनवां गांव कि तनिका घूमि आईं
कउआ ममवा के कांव रे तनिका सुनि आईं।
निर्मोही के एह नगरी में पियरइली सन आंख
गिद्धराज जटायु लेखा कटल गिरल बा पांख
अब बूढ़ - बुजुर्गन के तनिका सुन गुनि आईं
चलुचलु रे मनवां गांव कि तनिका घूमि आई।
ओद पुअरसी लेखा तनवां गते- गते जरत बा
गते- गते नोनी जइसन मनवां हमार झरत बा
होखनीं हम जोर एकहरा तनिक दूगुनि आईं
चलुचलु रे मनवां गांव कि तनिका घूमि आईं।
प्यार मुहब्बत इहां ना बाटे माहुर बोकरे नल
का जाने कइसन बा आपन आवे वाला कल
त दादी अम्मा के पांव त तनिका चूमि आईं
चलुचलु रे मनवां गांव कि तनिका घूमि आईं।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र. |
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