मुंह बढ़ल जाता: हरेश्वर राय
हाथ के कामे ना आ मुंह बढ़ल जाता
हमार परान महमंड देने चढ़ल जाता।
महंगाई कलमुंही करेजा खंखोरतिया
जवानी के रंग धीरे धीरे झड़ल जाता।
लड़ाई लड़े के जोसे नइखे केहुओ में
हारल सिपाही अस जंग लड़ल जाता।
सोनचिरैयां जरी के काहे खाक भइली
दोस के एक दोसरका पर मढ़ल जाता।
असली समस्या से ध्यान हटावे खातिर
रोजे रोज नया नया नारा गढ़ल जाता।
हमार परान महमंड देने चढ़ल जाता।
महंगाई कलमुंही करेजा खंखोरतिया
जवानी के रंग धीरे धीरे झड़ल जाता।
लड़ाई लड़े के जोसे नइखे केहुओ में
हारल सिपाही अस जंग लड़ल जाता।
सोनचिरैयां जरी के काहे खाक भइली
दोस के एक दोसरका पर मढ़ल जाता।
असली समस्या से ध्यान हटावे खातिर
रोजे रोज नया नया नारा गढ़ल जाता।
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