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हमार जिंदगानी

हमार जिंदगानी  हमार  जिंदगानी भइलि पानी पानी हमार जिंदगानी। लागता कि बीचहीं से जाइब चीराई अइसन मचल बा हमार खींचातानी। पाले परल  बानी अइसन  बलम के माटिया में मिलल बा भरल जवानी। हम भीड़ियो में हरदम रहीना अकेले रहि- रहि के  दरदा  उठेला  तूफानी। नोकरी के रसरी से अइसन छनइनी कि चउबीस घंटा  दूहल जात बानी।

फोकचा जस फोर देब

होइबे अंखफोर, त आंख तोर फोर देबि जादे फटफटइबे, तोर मुंहवा झंकोर देबि। चलत रहु हरदम गिरवले आपन मुंड़िया जहां मुंड़ी उठवले, त मुंड़िया ममोर देबि। जवने-जवन कहब, तवने- तवन सांच बा कटले तें बात, त कुकुर जस भंभोर देबि। आम के कहब महुआ, त तेहूं कहबे महुए नाहीं त आम अइसन, भूसवा में गोर देबि। बनबे चल्हांक ढेर, त बतिया हमार सुन ले धरब फंफेली, आ फोकचा जस फोर देबि।

तिरसंकु के हाल

गूंडा- मवालीन आ लूकड़न के राज बा लंगवन- बहेंगवन के मुंडी पर ताज बा। लुच्चन के, टुच्चन के, छतिया उतान बा एहनी के इचिको ना डर बा ना लाज बा। बोकड़न- लफंगन के चलती बा देस में सहजे का एहनी के अपना पर नाज बा। कुक्कुर के पोंछ अस एहनी के मोंछ बा अंगुरिन में एहनी के भरल पोखराज बा। बाटे हलिया हमार त भइल  तिरसंकु के जमीनिया प‌‌र सरप आ बदरी में बाज बा।

जरुरी बा

पथराइल अंखियन में सपना सजावल जरुरी बा दिल में बनल दरारन के दूरी मेटावल जरुरी बा। परदा के पाछा से खेलता खेल कवनो दुसमनवा ओ दुसमन के परदा में आग लगावल जरुरी बा। दिने-दिन हेहर आ जटही के बढ़ल जाता जंगल एह जंगल प दाब आ टांगी चलावल जरुरी बा। सभ लोगन के पासे बा कवनो ना कवनो सवाल  ए सभ सवालन के समेटि के उठावल जरुरी बा। सूर जी बाल्मीकि जी दास तुलसी कबीर जी के घर के बचन सभ के कविता पढ़ावल जरुरी बा।

राय रमेसर गांव में

भक भक बींड़ी धूकत फिरेले राय रमेसर गांव में पचपच पचपच थूकत फिरेले राय रमेसर गांव में। नेहा धोआ के खा के पी  के मार बिदेसिया इत्तर झारि के लुंगिया घूमत रहेले राय रमेसर गांव में। कबहूं मोटको कबो पतरको से सटिसटि सटरावें चचिया के घरवा चाह पीएले राय रमेसर गांव में। कन्हिया प हरदम राखेले लाल बिन्हचली गमछी आपन किरिया खात फिरेले राय रमेसर गांव में। बिन काठी के आग लगाके मनहीं मन मुसुकालें गड़हे- गड़हा खोनत फिरेले राय रमेसर गांव में।

नूं करी

 केहू के खोंखी आई त खोंखबे नूं करी पेनवा पुरान हो जाई त पोंकबे नूं करी मंच मिली नचनिया के त नाची - कूदी नेता के मंच मिली त  झोंकबे नूं करी। कुछ गवईया गावस ना बस अललाले कुछ बजवईया बजावेले बस झपताले कुछ नचवईया खलिसा उछड़ेलन जा कुछ बोलवईया खलिसा पकपकाले।

गजब हो गइल

 मइया घरवा तोरा कहइनी सासू घरवा रउरा  गजब हो गइल, बुचिया गउरी भइली गउरा, गजब हो गइल। रहीं कनेयां त हमरा के, खूब खिअवली सासूजी पुहुट बनावे खाति हमके, दूध पिअवली सासूजी आरे थोरहीं दिन में हो गइनी हम, गरई से सउरा गजब हो गइल। चूल्हा मिलल, चौका मिलल, मिलल चाभी ताला रिन करज के बोझा मिलल औरु छान्ह के जाला अब परे लागल इयाद त हमरा आपन ननिअउरा गजब हो गइल। केस उजराइल, मुंह सूखाइल, आंख-कान बेराम गजबे के ई जिनिगी बिया समझ ना आइल राम देखते देखत हो गइनी एकदमहीं हम बसिअउरा गजब हो गइल।

रोवतारे बाबू माई: हरेश्वर राय

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रोवतारन बाबू माई पूका फारि - फारी खेत बेंच के किनले बा पपुआ सफारी। साल भ के खर्ची बर्ची कहवां से आई उसिना आ अरवा अब कहां से कुटाई कइसे लगवावल जाई खिरकी केवारी। छठ -एतवार कुल्हिए फाका परि जाई बुचिया के कइसे अब तीजिया भेजाई मुसुकिल मनावल होई फगुआ देवारी। चिकन- मटन के संगे दारु खूब घोंकी पी के पगलाई तब कुकुर जस भोंकी कुरुता फरौवल कके लड़ी फौजदारी। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.