रोवतारे बाबू माई: हरेश्वर राय

रोवतारन बाबू माई पूका फारि - फारी
खेत बेंच के किनले बा पपुआ सफारी।

साल भ के खर्ची बर्ची कहवां से आई
उसिना आ अरवा अब कहां से कुटाई
कइसे लगवावल जाई खिरकी केवारी।

छठ -एतवार कुल्हिए फाका परि जाई
बुचिया के कइसे अब तीजिया भेजाई
मुसुकिल मनावल होई फगुआ देवारी।

चिकन- मटन के संगे दारु खूब घोंकी
पी के पगलाई तब कुकुर जस भोंकी
कुरुता फरौवल कके लड़ी फौजदारी।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

मुखिया जी: उमेश कुमार राय

मोरी मईया जी

जा ए भकचोन्हर: डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'

डॉ रंजन विकास के फेर ना भेंटाई ऊ पचरुखिया - विष्णुदेव तिवारी

डॉ. बलभद्र: साहित्य के प्रवीन अध्येता - विष्णुदेव तिवारी