फोकचा जस फोर देब

होइबे अंखफोर, त आंख तोर फोर देबि
जादे फटफटइबे, तोर मुंहवा झंकोर देबि।

चलत रहु हरदम गिरवले आपन मुंड़िया
जहां मुंड़ी उठवले, त मुंड़िया ममोर देबि।

जवने-जवन कहब, तवने- तवन सांच बा
कटले तें बात, त कुकुर जस भंभोर देबि।

आम के कहब महुआ, त तेहूं कहबे महुए
नाहीं त आम अइसन, भूसवा में गोर देबि।

बनबे चल्हांक ढेर, त बतिया हमार सुन ले
धरब फंफेली, आ फोकचा जस फोर देबि।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

मुखिया जी: उमेश कुमार राय

मोरी मईया जी

जा ए भकचोन्हर: डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'

डॉ रंजन विकास के फेर ना भेंटाई ऊ पचरुखिया - विष्णुदेव तिवारी

डॉ. बलभद्र: साहित्य के प्रवीन अध्येता - विष्णुदेव तिवारी