लोगे हंसी ठठाय
लिट्टी चोखा खाइ के ठंढा पानी पीहीं।
संतोषं परम सुखम के संगे रवा जीहीं।।
संतोषं परम सुखम के संगे रवा जीहीं।।
रसगुल्ला के चाह बड़ी बाउर होखेला।
बिन अरथ करत फिरी मत हींहींहींहीं।।
राउर फाटल देख के लोगे हंसी ठठाय।
अपने सुई धागा से आपन गुदरी सीहीं।।
याद करीं ऊपरवाला कतना दिहले बा।
ओही में से थोर बहुत दोसरा के दीहीं।।
जनम भइल बा त मरन त होइबे करी।
एह सांच के गांठी में रवा गंठिया लीहीं।।
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