अकरात मकरात सकरात बड़ी भारी: हरेश्वर राय

अकरात मकरात सकरात बड़ी भारी।
मरलन जा चूरा कुल्हि सुखारी दहारी।।

खूंटा उखड़ गइलन फूट गइलन नाद।
अब चरने प बइठताड़ें घर के दामाद।।

दूह दही भईल बाटे गऊओं में सपना।
आंख भइलि गड़हा मुंह भइल ढपना।।

अब कोरोनवे कटाता कोरोनवे दंवाता।
कोरोनवे के रोटी अब सब केहू खाता।।

कमाए केहू अउर आ खाए केहू अउर।
भईंस होली ओकरे जेकरा पासे लउर।।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

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