दहेज: हरेश्वर राय

बेटा के बापवा बनल बा कसाई।
बबुनी के बाबू के होखता चुसाई।।

दहेज में मंगातरुए उड़नखटोला।
हीरवा मंगातरुए दस बीस तोला।।

बेटा गंजेड़ी खतिरा चाहीं जहाज।
गूंग बहीर भइल बा सरबे समाज।।

ई सब देख सुन फाटे मोर कपार।
मन करे घोंपि लीं सीना में कटार।।

सवाचल जरुरी बाटे एकर दवाई।
ना त मरजवा ई खोरि खोरि खाई।।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

मुखिया जी: उमेश कुमार राय

मोरी मईया जी

जा ए भकचोन्हर: डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'

डॉ रंजन विकास के फेर ना भेंटाई ऊ पचरुखिया - विष्णुदेव तिवारी

डॉ. बलभद्र: साहित्य के प्रवीन अध्येता - विष्णुदेव तिवारी