हमरी सुनि ल सखिया: हरेश्वर राय

 सुनि ल सखिया हो 
हमरी सुनि ल सखिया, 
मोरे बलमा बहुत अनाड़ी
सुनि ल सखिया।

धोती पहिरे पगरी बान्हे
खभड़ी मोछि रखावे 
रसगुल्ला के नाँव सुने त 
लार बहुत टपकावे
भच्छे दही भर-भर हांड़ी 
सुनि ले सखिया।

मुँहेलुकाने मुँह धोवेला
मोटकी दतुअन लेके
हमरा ओरिया देखि देखि के 
गजबे मुसकि फेंके 
साँझ फजिरे बल्टी लेके 
दूहे भुअरी पाड़ी
सुनि ले सखिया।

दिन भर खेते - खार रहेला 
झलको ना देखलावे
अँकवारी में भरि भरि लेला 
जसहीं पलखत पावे 
हाँके तेज बैलागाड़ी 
सुनि ले सखिया।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

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