का फाएदा: हरेश्वर राय



नोकरी के माने गूलरिया के फूल
त पढ़ला पढ़ौला से का फाएदा।

जब बुझे के नइखे मरम नेह के
त नयना लड़ौला से का फाएदा।

जब मयवे में माँजे के रहे लेवाड़
त झोंटवा बढ़ौला से का फाएदा।

नाचे के नइखे जब तनिको सहूर
त घुघ्घुर बन्हौला से का फाएदा।

बे- परदे रहे के चलन चल रहल
त परदवा गिरौला से का फाएदा।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

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