कवनो भाषा का स्वरूप के बतावे वाला चार गो प्रमुख भाषिक तत्व होलें - सर्वनाम, क्रिया-पद, प्रत्यय-विभक्ति आ अव्यय। कवनो व्यक्ति, समाज भा भाषा के सम्पर्क में आके केहू के भाषा प्रभावित हो सकेले। बाकिर एह चारो भाषिक तत्वन के ना अपना सके। कवनो भाषा अपना सर्वनाम आ क्रिया-पद के छोड़ के दोसरा भाषा के सर्वनाम आ क्रिया-पद ना ले सके। संज्ञा आ विशेषण के लेन-देन आम बात होला। शर्ट, पैंट, कोट, टाई, स्वेटर, कम्प्यूटर आदि भोजपुरी जाति-भाषा के आविष्कार ना ह त ई भोजपुरी अंगरेजी भा दोसरा यूरोपीय भाषा से एह सब के संज्ञा के रूप में ले ली। ओइसहीं साड़ी, धोती, धर्म, दर्शन, अध्यात्म आदि शब्द इंग्लिश जाति-भाषा के आविष्कार ना ह त उहो ले ली। बाकिर एकरा से भाषा ना बदली। भोजपुरी अंगरेजी से क्रिया-पद कम, गो, इट, ड्रिंक आदि ना ले सके आ अंगरेजियो भोजपुरी से खा, जा, उठ, बइठ, सुत, पढ़, जो, आव आदि ना ले सके। खड़ी बोली हिन्दी के सहायक क्रिया है, हैं, था, थे, थी, थीं आदि भोजपुरी ना लगा सके आ भोजपुरी के क्रिया-पद बा, बाटे, बड़ुए, बाटी, बाड़ी, बानी, हईं, हवी, हउवे आदि के खड़ी बोली हिन्दी ना अपना सके। भोजपुरी के नकारात्मक बो...