के करी: उमेश कुमार राय
देशवा में छाई अंधियारी,
तब दिवाली के लेआई।
जब नेताजी करिहे जुगाली,
तब संसद के चलाई।
जब पंडाजी ना बनिहे पूजाड़ी,
तब मंदिर के घंटा के डोलाई।
जब माहटरे करिहे मनमानी,
तब लड़ीकन के के पढ़ाई।
जब किसाने रहीहे धरना पर,
तब खेतिया के कराई।
जब मुखियेजी करिहे घोटाला,
तब गलिया के बनाई।
जब सिपाहिये करिहे चोरिया,
तब चोरवा कईसे पकड़ाई।
जब जजे साहेब घूसवा खईहें,
तब निर्दोषवा के के बचाई।
सम्प्रति:
तब दिवाली के लेआई।
जब नेताजी करिहे जुगाली,
तब संसद के चलाई।
जब पंडाजी ना बनिहे पूजाड़ी,
तब मंदिर के घंटा के डोलाई।
जब माहटरे करिहे मनमानी,
तब लड़ीकन के के पढ़ाई।
जब किसाने रहीहे धरना पर,
तब खेतिया के कराई।
जब मुखियेजी करिहे घोटाला,
तब गलिया के बनाई।
जब सिपाहिये करिहे चोरिया,
तब चोरवा कईसे पकड़ाई।
जब जजे साहेब घूसवा खईहें,
तब निर्दोषवा के के बचाई।
सम्प्रति:
उमेश कुमार राय ग्राम+पोस्ट - जमुआँव थाना- पीरो, जिला- भोजपुर (बिहार) |
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