अवकातन क बात: उमेश कुमार राय
रउआ हीरनी सुखन की नगरी,
हमरा पर दुखन क विसात।
हमार जनम संघर्ष खातिर ह,
ई त हमरी अवकातन क बात।
हर खोरियन में दीख रहल बा,
तोहरी-हमरी मनवाँ क अवकात।
तोहरी दिया आकाश जरत बा,
हमरी घोर आफत क बरसात।
हमरी खेतिया सुख रहल बा,
नाहीं रहल डिजल क अवकात।
तोहरी गड़िया उड़ रहल बा,
नाहीं डिजल क कुछ विसात।
तोहरी आँगन क पोखरा शान बा,
रात-दिन हंस थाहत हैसियत।
हमनी क पोखरा सूख रहल बा,
नाहीं परबंधन क अवकात ।
रात-दिन हंस थाहत हैसियत।
हमनी क पोखरा सूख रहल बा,
नाहीं परबंधन क अवकात ।
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