ई त जुगाड़ ह: उमेश कुमार राय
भईया हो ई त एहघरी के जुगाड़ ह,
झूठे के राई के बड़का पहाड़ ह।
अझुराईल काम त,
निमन-चिकन बतियावे के।
सझुराईल काम त,
भर-पेट लतियावे के।
छाँह कबो ना आई ई त ताड़ ह।
भईया हो ई त एहघरी के जुगाड़ ह,
झूठे के राई के बड़का पहाड़ ह।
बुझारत मे पूछ खातिर त,
अपनों से अपना के झुरावे के।
छुरी चलावे खातिर त,
मधुर मुस्की दिखावे के।
ई ना बुझी भरल धूरतई के भाड़ ह।
भईया हो ई त एहघरी के जुगाड़ ह,
झूठे के राई के बड़का पहाड़ ह।
बनल सरकार के,
छनही में गिरावे के।
गिरल सरकार के,
छनही में बनावे के,
ईनकरा लगे भर दउरी जुगाड़ ह।
भईया हो ई त एहघरी के जुगाड़ ह,
झूठे के राई के बड़का पहाड़ ह।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें