भोजपुरी गजल: उमेश कुमार राय
फोकटे में जिंनगी जियान हो गईल।
करवट बदले में रात से बिहान हो गईल।।
सबुर सहोदर आसरा के बा बनल ।
आस पर बिसवास मेहरबान हो गईल ।।
अपने-आप आपन लोगवा बा बैरी बनल।
आपन अनकर के छनहीं में गेयान हो गईल
जवना से सजल महफिल भी उजाड़ बनल।
फिर से ओकर भान सेयान हो गईल।।
अपने आप में अपना के ढूढल पहेली बनल।
संगी-साथी भी सुनके हेरान हो गईल।।
करवट बदले में रात से बिहान हो गईल।।
सबुर सहोदर आसरा के बा बनल ।
आस पर बिसवास मेहरबान हो गईल ।।
अपने-आप आपन लोगवा बा बैरी बनल।
आपन अनकर के छनहीं में गेयान हो गईल
जवना से सजल महफिल भी उजाड़ बनल।
फिर से ओकर भान सेयान हो गईल।।
अपने आप में अपना के ढूढल पहेली बनल।
संगी-साथी भी सुनके हेरान हो गईल।।
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