बान्हि दे माई तिलवा: बिमल कुमार
काटे खातिर पिलिया धउरे
भिरी ना आवे पिलवा।
खाइब खियाइब हम बझाइब
बान्हि दे माई तिलवा।
नइखे ओकरा सुटर टोपी
खूब सातावे जाड़ा।
कूं-कूं कूं-कू रोज करेला
रहेला रोवाँ खाड़ा।
दुबर बा त छपले बाड़ं सन
आँखि कान अँठई ढिलवा,
खाइब खियाइब हम बझाइब
बान्हि दे माई तिलवा।
ठंढा ठंढा हवा बहेला
टोपी सुटर पहिरा दे।
गरम-गरम रोटी तरकारी
बना-बना के खिया दे।
दे दे माई जाके खिया दी
ई रोटिया फाजिलवा,
खाइब खियाइब हम बझाइब
बान्हि दे माई तिलवा।
हितवो मितवो लोभ में परि के
आजु क देता गदारी।
रही निभावत मुवला तक ई
हमनी संघे इयारी।
देला से खाली ना होई
अन-धन भरल कोठिलवा,
खाइब खियाइब हम बझाइब
बान्हि दे माई तिलवा।
सम्प्रति:
विमल कुमार ग्राम +पोस्ट - जमुआँव, थाना- पीरो जिला- भोजपुर, आरा (बिहार) |
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