खतम बा: हरेश्वर राय

 

बसंत के बहार खतम बा
नदिया के धार खतम बा
मन में भरम जिंदा बड़ुए
पाँख के संसार खतम बा।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

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