एगो भोजपुरी गजल: उमेश कुमार राय
रउर निगाह से गिरनी त होश का बड़ुए।
बनल साक्षी अंखिया त दोष का बड़ुए।।
खूब तजूरत के बाद रउआ के पइले रहनी।
रउए हमरा के भुलवनी त रोष का बड़ुए।।
हाट बाजार अंगुरी धइके घुमल रहनी।
हाथ-बांही धरे के बेरी होश का बड़ुए।।
जवना प अगरा के उतान रहत रहनी।
तवन गुमान हेराइल त जोश का बड़ुए।।
एक मुसुकी प रउआ जियत मरत रहनी।
अब राउर जहर भरल मुसुकी त बड़ुए।।
बनल साक्षी अंखिया त दोष का बड़ुए।।
खूब तजूरत के बाद रउआ के पइले रहनी।
रउए हमरा के भुलवनी त रोष का बड़ुए।।
हाट बाजार अंगुरी धइके घुमल रहनी।
हाथ-बांही धरे के बेरी होश का बड़ुए।।
जवना प अगरा के उतान रहत रहनी।
तवन गुमान हेराइल त जोश का बड़ुए।।
एक मुसुकी प रउआ जियत मरत रहनी।
अब राउर जहर भरल मुसुकी त बड़ुए।।
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