काहे ऊजबुजालs: उमेश कुमार राय
सीधे राहवा में, काहे भटभटालs ए भाई
भटक खुलजाई, काहे अऊँजालs ए भाई
अकबकईब तs, नीके उजबुक बन जईबs
अबकी दम लगाव त पार होईबs ए भाई।
बाकी लबरन से, छीनगाईल रहीह ए भाई
उ कतो अकबकइहें, ना झुझुअईह ए भाई
कवनो लफड़ा झमेला में, नाहीं अझुरईहs
दमी सधबs तs बुततो धधकीहन ए भाई।
केहु बघुआए तs, मति भकुअईह ए भाई
भक मारी उनका त, तू बुझ जईब ए भाई
अपने खूब चोन्हईहन आउर अगरईहन
खूँटा गड़ब आकाश में, त बुझीहन ए भाई।
बएरी मउरा सउरा के, ढेरे लोरईहन ए भाई
लोरा लोरा के उ लारपुआर, होईहन ए भाई
तबो तूँ आपन रहिया, तनिको नाहीं भोरईह
अबकी दम लगाव त पार होईबs ए भाई।
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