ना रहीत: हरेश्वर राय
रहीत ना आलू त समोसा ना रहीत
रहीत ना मुँह पेट त ढोसा ना रहीत।
रामजी ना जइतन तड़िका के बधे
त रहीत ना बकसर चौंसा ना रहीत।
बाबा- दादी नाना- नानी ना रहीतन
त मइया मउसी आ मौसा ना रहीत।
बाढ़ि ना रहीत आ चुनाव ना रहीत
त रहीत ना लूटपाट भौसा ना रहीत।
बिधना के खेल त बहुते निराला बा
रहिति ना मेहरि मुँहझौंसा ना रहीत।
रहीत ना मुँह पेट त ढोसा ना रहीत।
रामजी ना जइतन तड़िका के बधे
त रहीत ना बकसर चौंसा ना रहीत।
बाबा- दादी नाना- नानी ना रहीतन
त मइया मउसी आ मौसा ना रहीत।
बाढ़ि ना रहीत आ चुनाव ना रहीत
त रहीत ना लूटपाट भौसा ना रहीत।
बिधना के खेल त बहुते निराला बा
रहिति ना मेहरि मुँहझौंसा ना रहीत।
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