मुखिया जी: उमेश कुमार राय
ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। चलनी के चालल सूपवा के फटकारल अपना के बता गईनी ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। ए मुखियाजी! रउआ त जेकरा-जेकरा दुअरा गईनी भात-भवदी के त छोडीं बातो-बतकही छोड़ा गईनी ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। ए मुखियाजी! रउरा त हाथ जोरि के दाँत निपोर के सबका के बुड़बक बना गईनी बाबू-बरुआ के महाभारत कराके झड़ुअन वोट बहार गईनी ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। ए मुखियाजी! रउरा त चापलुसन के वंस बढ़ा गईनी दुआरा के कुकुरन के भी बब्बर शेर बना गईनी ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। ए मुखियाजी! रउरा त जेकरा से ना बात-बतकही ओकरो से घीघीआ गईनी ढोंढ़ा-मंगरू छेदी-झगरू से छनही मे लाट लगा गईनी ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। ए मुखियाजी! रउरा त गली-नाली के का कहीं मुड़ेरवो भसा गईनी आवास के आसारा में त घरओ में जोन्हीं देखा गईनी ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। सम्प्रति : उमेश कुमार राय ग्राम+पोस्ट - जमुआँव थाना- पीरो, जिला- भोजपुर (बिहार)
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएं