सुखारी चाचा
सुखारी चाचा
कटहर लेखा मुंह काहे लटकल ए सुखारी चाचा।लागता कि हार तोहरा खटकल ए सुखारी चाचा।।
ताल के टोपरा बेंच बांच के लड़ल ह तूं मुखिअई।
हरलह त पोंछिया तहार सटकल ए सुखारी चाचा।।
भोरहीं भोरहीं तूं अंगरेजी से करत रहल ह कूल्ला।
फुटानी के बरखा त अब चटकल ए सुखारी चाचा।।
बहुत दिनन से डूबि डूबि के पीयत रहल ह पानी।
लगता कि अबकी टेंगर अंटकल ए सुखारी चाचा।।
राजनीति के छोड़ के चस्का जा अब कीनs कटोरा।
साधू चा के पिछवा चल लटकल ए सुखारी चाचा।।
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